सामग्री पर जाएँ

विकिस्रोत:मुखपृष्ठ

विकिस्रोत से
हिन्दी विकिस्रोत पर आपका स्वागत है।
एक मुक्त पुस्तकालय जिसका आप प्रसार कर सकते हैं।
हिंदी में कुल ५,८०८ पाठ हैं।

अगस्त की निर्वाचित पुस्तक
निर्वाचित पुस्तक

सप्ताह की पुस्तक
सप्ताह की पुस्तक

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

कलम, तलवार और त्याग प्रेमचंद के पन्द्रह महापुरुषों के जीवन-चरितों का संग्रह है जिसका पहला संस्करण १९३९ ई॰ में बनारस के सरस्वती-प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसमें राणा प्रताप, रणजीत सिंह, राणा जंगबहादुर, अकबर महान, स्वामी विवेकानन्द, राजा मानसिंह, राजा टोडरमल, श्री गोपाल कृष्ण गोखले, गेरीबाल्डी, मौ॰ वहीदुद्दीन 'सलीम', डा॰ सर रामकृष्ण भंडारकर, बद्रुद्दीन तैयबजी, सर सैयद अहमद खाँ, मौ॰ अब्दुलहलीम 'शरर' तथा रेनाल्ड्स के जीवन-चरित शामिल हैं।


"राजस्थान के इतिहास का एक-एक पृष्ठ साहस, मर्दानगी और वीरोचित प्राणोत्सर्ग के कारनामो से जगमगा रहा है। बापा रावल, राणा सांगा, और राणा प्रताप ऐसे-ऐसे उज्ज्वल नाम हैं कि यद्यपि काल के प्रखर प्रवाह ने उन्हें धो बहाने में कोई कसर नहीं उठा रखी, फिर भी अभी तक जीवित हैं और सदा जीते तथा चमकते रहेंगे। इनमें से किसी ने भी राज्यों की नींव नहीं डाली, बड़ी बड़ी विजयें नहीं प्राप्त कीं, नये राष्ट्र नहीं निर्माण किये, पर इन पूज्य पुरुषों के हृदयों में वह ज्वाला जल रही थी जिसे स्वदेश-प्रेम कहते हैं। वह यह नहीं देख सकते थे कि कोई बाहरी आये और हमारे बराबर का होकर रहे। उन्होंने मुसीबतें उठाईं, जानें गँवाईं पर अपने देश पर कब्जा करनेवालों के कदम उखाड़ने की चिन्ता में सदा जलते-जुड़ते रहे। वह इस नरम विचार वा मध्यम वृत्ति के समर्थक न थे कि 'मैं भी रहूँ और तू भी रह।' उनके दावे ज्यादा मर्दानगी और बहादुरी के थे कि 'रहें तो हम रहें या हमारे जातिवाले, कोई दूसरी कौम हर्गिज़ कदम न जमाने पाये।"...(पूरा पढ़ें)


पिछले सप्ताह की पुस्तक देखें, अगले सप्ताह की पुस्तक देखें, सभी सप्ताह की पुस्तकें देखें और सुझाएं

पूर्ण पुस्तक
पूर्ण पुस्तकें

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

स्कंदगुप्त जयशंकर प्रसाद द्वारा १९२८ ई. में लिखा गया नाटक है। गुप्त-काल (२७५ ई०---५४० ई० तक) अतीत भारत के उत्कर्ष का मध्याह्न था। उस समय आर्य्य-साम्राज्य मध्य-एशिया से जावा-सुमात्रा तक फैला हुआ था। समस्त एशिया पर भारतीय संस्कृति का झंडाफहरा रहा था। इसी गुप्तवंश का सबसे उज्ज्वल नक्षत्र था---स्कंदगुप्त। उसके सिंहासन पर बैठने के पहले ही साम्राज्य में भीतरी षड्यंत्र उठ खड़े हुए थे। साथ ही आक्रमणकारी हूणों का आतंक देश में छा गया था और गुप्त-सिंहासन डाँवाडोल हो चला था। ऐसी दुरवस्था में लाखों विपत्तियाँ सहते हुए भी जिस लोकोत्तर उत्साह और पराक्रम से स्कंदगुप्त ने इस स्थिति से आर्य साम्राज्य की रक्षा की थी---पढ़कर नसों में बिजली दौड़ जाती हैं। अन्त में साम्राज्य का एक-छत्र चक्रवर्तित्व मिलने पर भी उसे अपने वैमात्र एवं विरोधी भाई पुरगुप्त के लिये त्याग देना, तथा, स्वयं आजन्म कौमार जीवन व्यतीत करने की प्रतिज्ञा करना---ऐसे प्रसंग हैं जो उसके महान चरित पर मुग्ध ही नहीं कर देते, बल्कि देर तक सहृदयों को करुणासागर में निमग्न कर देते हैं। ( स्कंदगुप्त पूरा पढ़ें)


सभी पूर्ण पुस्तकों की सूची देखें। पूर्णपुस्तक संबंधी नियम देखें और सुझाएं।

सहकार्य

रचनाकार
रचनाकार

चतुरसेन शास्त्री (26 अगस्त 1891 — 2 फ़रवरी 1960) हिंदी भाषा के उपन्यासकार थे। विकिस्रोत पर उपलब्ध उनकी रचनाएँ:

  1. आग और धुआं, औपनिवेशिक दौर के भारत के इतिहास पर आधारित उपन्यास
  2. वैशाली की नगरवधू, आम्रपाली के जीवन पर आधारित उपन्यास
  3. देवांगना, आस्था और प्रेम का धार्मिक कट्टरता और घृणा पर विजय का उपन्यास
  4. धर्म के नाम पर, धर्म के नाम पर की जाने वाली कुरीतियों पर प्रहार करता निबंध-संग्रह
  5. मेरी प्रिय कहानियाँ, कहानी संग्रह
रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रबीन्द्रनाथ ठाकुर या रबीन्द्रनाथ टैगोर (7 मई 1861 — 7 अगस्त 1941) नोबल पुरस्कार विजेता बाँग्ला कवि, उपन्यासकार, निबंधकार, दार्शनिक और संगीतकार हैं। विकिस्रोत पर उपलब्ध इनकी रचनाएँ:

  1. स्वदेश (1914), निबंध संग्रह
  2. राजा और प्रजा (1919), निबंध संग्रह
  3. विचित्र-प्रबन्ध (1924), निबंध संग्रह
  4. दो बहनें (1952), हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा अनूदित उपन्यास।

आज का पाठ

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

प्राचीन समय में भारतवर्ष की दशा ई॰ मार्सडेन द्वारा १९१९ ई. में लिखे गए भारतवर्ष का इतिहास का दूसरा अध्याय है।

हज़ारों बरस पहिले भारतवर्ष जङ्गली देश था। सारे देश में बड़े बड़े बन खड़े थे जिनमें जङ्गली जीवजन्तु फिरा करते थे। पेड़ों को घनी छांह में अजगर लोटते थे न कहीं शहर थे, न गांव, न घर, न सड़कें। कहीं कहीं थोड़े से बनमानुस रीछों की तरह खोहों में या बन्दरों की तरह पेड़ों पर रहा करते थे। इनका डील छोटा, रंग काला, चेहरा मोहरा भोंडा था; नंगे और मैले रहते और बन के फल फूल बेर और कन्दमूल खाते थे; कभी कभी बनैले सुअर और हिरन भी मारकर खा जाते थे। इनके पास चाकू छुरे न थे। काटने का काम चकमक पत्थर के पैने टुकड़ों से लिया करते थे। इससे हम इन लोगों को पत्थर के समय के आदमी कहते हैं। यह लोग लकड़ियों को रगड़ कर आग बनाना भी जानते थे। (पूरा पढ़ें)

सभी आज का पाठ देखें, आज का पाठ सुझाएं और नियम देखें

विषय

आंकड़े
आंकड़े

विकिमीडिया संस्थान

विकिस्रोत गैर-लाभकारी संगठन विकिमीडिया संस्थान द्वारा संचालित है जिसकी अन्य मुक्त-सामग्री परियोजनाएँ निम्नवत हैं:
कॉमन्स विकिपुस्तक विकिडेटा विकिसमाचार विकिपीडिया विकिसूक्ति विकिप्रजाति विकिविश्वविद्यालय विकियात्रा विक्षनरी मेटा-विकि
एक ऐसे विश्व की कल्पना करें, जिसमें हर व्यक्ति ज्ञान को बिना किसी शुल्क के किसी से भी साझा कर सकता है। यह हमारा वादा है। इसमें हमें आपकी सहायता चाहिए। आप हमारे परियोजना में योगदान दे सकते हैं या दान भी कर सकते हैं। यह हमारे जालस्थल के रख रखाव आदि के कार्य आता है।