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मेरे ख्वाब

रात कली कोई ख्वाब में आई  और गले का हार हुई  हँसता हुआ था उसका चेहरा  आँखों में कोई रंग था गहरा  होठ गुलाबी, आँख शराबी  चाल में मादकता झलकी ...

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बुधवार, 7 जुलाई 2021

वो रात

जब दिन में ही हर ओर क्रंदन है
तो वो रात कितनी खौफनाक होगी
हर गली सूनी हर घर में अँधेरा छाया 
दिन खाने को दौरता है तो रात काटे नहीं कटती 

हर ओर जख्म के ही दाग बिखरे हैं 
वो रात न जानें कहां गुम हो गई 
जब हम चाँद तारों से बातें करते थे 
हर ओर ख़ुशी और सुकून था 
जीवन की आशा थी प्यार की परिभाषा थी 

आज तो बस काली रात कि छाया है 
दम तोड़ते रिश्तों की रूदन है 
आंखों में आंसू और ह्रदय में चुभन है 
हम खामोश हैं पर सवाल अनगिनत है 

घर-घर में चीख - पुकार है 
हर ओर सन्नाटा पसरा है 
ना तो खुशियों से भरा वो दिन हैं 
ना प्रेम वर्षाती वो रातें 

अपनों के विरह में सब कूछ  बिखरा-बिखरा है 
जीवन के जंग में कोई जीत गया 
तो कोई हारकर बैठा है .