अमन गुप्ता, आजमगढ़: आजमगढ़ के बहुचर्चित ट्रांसपोर्टर धनराज यादव की हत्या के मुकदमे की सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने सबूतों के अभाव में बसपा के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी और पूर्व ब्लॉक प्रमुख अखंड प्रताप सिंह समेत 12 अभियुक्तों को दोष मुक्त कर दिया। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 1 सतीश चंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को सुनाया। इस फैसले के बाद अब पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ने निष्पक्ष जांच की होती तो आज घटना में शामिल अभियुक्त सलाखों के पीछे होते। इस मामले में पूर्व प्रमुख समेत 12 अभियुक्तों को झूठे मुकदमे में जेल नहीं जाना पड़ता।वाराणसी में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने वाले और मेंहनगर क्षेत्र के टोडरपुर ग्राम निवासी धनराज यादव (35) पुत्र सत्यदेव की स्कार्पियो सवार हमलावरों ने 11 मई 2013 की शाम हत्या कर दी थी। शाम लगभग साढ़े पांच बजे उनकी उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब वह अपने पिता सहित चार लोगों के साथ नरायनपुर गांव स्थित रिश्तेदारी से वाराणसी लौट रहे थे। इस मामले में मृतक धनराज के भाई बच्चेलाल यादव ने तरवां ब्लॉक के पूर्व ब्लाक प्रमुख अखंड प्रताप सिंह सहित नौ लोगों के खिलाफ नामजद तथा चार अज्ञात के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
पुलिस को दी गई तहरीर में बच्चे लाल यादव ने आरोप लगाया कि महाप्रधानी चुनाव को लेकर अखंड प्रताप सिंह से उनके भाई की रंजिश चल रही थी। इसी की वजह से अखंड प्रताप सिंह उनके साथियों ने भाई धनराज यादव की हत्या कर दी और उनकी बंदूक भी छीन लिए। इस घटना में जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर नामजदगी के आधार पर पुलिस ने 13 अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। लेकिन इनके खिलाफ कोई साक्ष्य जुटाने में पुलिस नाकाम रही है।
अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी बच्चेलाल और संतोष यादव को बतौर साक्षी न्यायालय में पेश किया गया। बाद में अदालत ने न्यायहित में अपनी तरफ से नौ गवाहों को न्यायालय में तलब किया। बचाव पक्ष से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हरिवंश यादव और सर्वजीत यादव ने बताया कि मुकदमे के दौरान एक आरोपी कामता प्रसाद यादव की मृत्यु हो गई। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पुलिस की कमजोर विवेचना और पर्याप्त सबूत के अभाव में पूर्व प्रमुख अखंड प्रताप सिंह, अजय सिंह, सुनील सिंह पुत्र वशिष्ठ,दयाशंकर सिंह अमित सिंह चंदन सिंह , संतोष कुमार और पप्पू सुनील सिंह पुत्र रविंद्र, रमेश यादव, कृष्ण कुमार, विपिन उर्फ टिंकू तथा प्रदीप सिंह कबूतरा को दोष मुक्त कर दिया।
पुलिस को दी गई तहरीर में बच्चे लाल यादव ने आरोप लगाया कि महाप्रधानी चुनाव को लेकर अखंड प्रताप सिंह से उनके भाई की रंजिश चल रही थी। इसी की वजह से अखंड प्रताप सिंह उनके साथियों ने भाई धनराज यादव की हत्या कर दी और उनकी बंदूक भी छीन लिए। इस घटना में जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर नामजदगी के आधार पर पुलिस ने 13 अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। लेकिन इनके खिलाफ कोई साक्ष्य जुटाने में पुलिस नाकाम रही है।
अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी बच्चेलाल और संतोष यादव को बतौर साक्षी न्यायालय में पेश किया गया। बाद में अदालत ने न्यायहित में अपनी तरफ से नौ गवाहों को न्यायालय में तलब किया। बचाव पक्ष से पैरवी कर रहे अधिवक्ता हरिवंश यादव और सर्वजीत यादव ने बताया कि मुकदमे के दौरान एक आरोपी कामता प्रसाद यादव की मृत्यु हो गई। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पुलिस की कमजोर विवेचना और पर्याप्त सबूत के अभाव में पूर्व प्रमुख अखंड प्रताप सिंह, अजय सिंह, सुनील सिंह पुत्र वशिष्ठ,दयाशंकर सिंह अमित सिंह चंदन सिंह , संतोष कुमार और पप्पू सुनील सिंह पुत्र रविंद्र, रमेश यादव, कृष्ण कुमार, विपिन उर्फ टिंकू तथा प्रदीप सिंह कबूतरा को दोष मुक्त कर दिया।