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Tratak Meditation An Introduction and Benefits – Sure

Gateway to Invoke Psychic Powers


Yes –Tratak meditation is most powerful technique to fulfill the
desire of Sadhak (Aspirant) with very effective way. The
Devotee of Sadhak always success in his all types of works
because that devotees has been developed such Psychic or
supernatural spiritual inside him / her which have the ability to
do all the impossible works. Tratak meditation is used to invoke
the various spiritual powers and siddhies.

Introduction or How to Do the Tratak Meditation: 

-         Concentration on any point like Bindu or Flame of Candle


or Ghee / Oil Lamp continuously without blinking the eyes. This
simple method is called Tratak Meditation.

-         Just do it around 3.5 hours and then close your eyes and do
the tratak inside, see the same flame in the middle of your eyes
with close eyes. Practice it.

-         When your eyes full with water then just stop practice and
rest for few moments and then start the practice again.
Tratak Meditation An Introduction and Benefits

How you should do this Tratak Meditation Sadhana:

1.     Keep a peace of blanket for your seat, Always seat at on same
place and at same time. Place Must be pure and peaceful. No
Body should disturb to you during this process.

2.     Timing either do it in the earing morning around 3 A.M to 7


A.M or at night around 8 P.M. to 12 A.M. Mean Time duration
for it should be around 4 hours per day for the 40 days.

3.     During the Tratak process, keep concentration, dedication and


patience.
4.     Devotee should keep celibacy and should not addicted.

5.     During tratak no food should before 4 hours, very light food
should eat.

6.     While practice of Tratak meditation, Devotee should not


move body and his /her neck, back and head should be straight
in 90 degree angle. As shown in picture below Mean body
should be straight and should not move even the finger also.

7.     Just take bath with fresh water and wear the comfortable
clothes in Red color.

8.     Devotee should do the tratak as given below in picture. Ghee /


Oil lamp should  place as shown and person should also sit like
that.

9.     Females need to keep 2 rituals of 21 days because during their


periods they are restricted for ritual.

10.      Anybody can do this ritual even a child also, as it is


completely safe and effective very much.

11.                        At the last of Tratak Meditation mean when


passed the 3.25 or 3.5 hours then close your eyes and try to
see and meditation on same flame with close eyes and see
this flame in the middle of yours both eyes above nose.
Spells which need to chant during this ritual:
- Om Hreem Om
    

- ॐ ह्रीं ॐ     

-        This ritual doesn’t require any type of rosary, Just chant the
spells from your heart. 
-          
      Timing as provided above in ritual Around 4 Hours.
-         Pranayam if user do the pranayama (Anulom Vilom) then
effect and concentration will improve for Tratak Meditation,
and it will bring more good result.
-          

Sure Gateway to Invoke the Psychic Powers


Amazing Benefits or Secrets of Tratak Meditation: This is
totally safe and powerful ritual. Definitely It shows the result.
1.With the Help of this Yogic or Divine sadhana user can
hypnotize any person who is very far away from him / her. User
doesn’t required to any type of connection with that person he
can hypnotize him /her perfectly and call that person near to him
/ her.
2. This will improve your concentration miraculously.
3. This sadhana is the boon for human.
4. This Sadhana will improve you Desire power, Mean whatever
you will desire that will be complete.
5. Develop Hypnotic Eye:
 To influence the people.
 To control the person in your positive favor.
 To calm down negative reactions.
 To Hypnotize & induce trance level.
 Nobody will dare to look into your eyes.
How to Use this Tratak Meditation Sadhana to complete
your desire:
For an example: After Completion of Sadhana (40 Days) and
Now you want to check your powers, Let us assume that your
friend is far away in another city. Let assume that you are in
Haridwar and Your friend in Canada.
Now you want that your friend should come to Haridwar from
Canada or your friend should call you on phone without
informing him with the help of your PSYCHIC 
power. Just follow the following steps:
Steps:
1.     Daily in morning when you wake up, First remember the God
and prayer for your success. Do this only for 5-10 min. The with
close eyes Just see your friend where you see the flame while
doing the tratak  with close eyes.
2.     Order your friend i.e. “Amuk (Name of Friend) Call me by
phone or Come to India and meet me” Or “अमुक मुझे कॉल करो
या अमुक इंडिया आ जाओ और मुझसे मिलो फ़ौरन”. 

3.     Just do it in the three times in a day, continuously.


4.     Just in few days your friend will either call you or will come
to you, You will be surprised with this miracle, how it happened
this will be due to your own supernatural power.
5.     With same method you can complete another lot of
impossible works without any hesitation.

Tratak meditation
WARNING – During the Sadhana or after completion the 
Sadhana, Please keep yourself calm and never get angry on
anyone because if you just angry on any person then that will be
very dangerous for that person. 

दाढ़ में कीड़ा लगना

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो कामरु दे श कामाक्षा दे वी।

जहां बेस इस्माईल योगी।

इस्माईल योगी ने पाली गाय।

नित उठ चरवा वन में जाय।

वन में चरे सुख घास खाय।

पियके गोबर किया ज्या में निपज्या कीड़ा।

सात सूत सुताला।

पँछ
ू पुछाला।
धड़
ू पीला।

मुंह काला।

डाढ़ दांत गालै।

मसढ़
ू े करै तो गरु
ु गोरखनाथ की दह
ु ाई।

शब्द साँचा।

पिंड कांचा।

फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा।

विधि: अमावस्या को ५१ माला जप कर मंत्र सिद्ध कर लो।

अब ३ कीलें लो. मंत्र को सात बार जाप करते हुए कीलों को डाढ़
पर छुआ दो। फिर तीनों कीलों को किसी काठ या पेड़ के तने में
ठोक दो। पीड़ा ठीक हो जाएगी।
- चोट का इलाज

॥ मंत्र ॥
ॐ नमो रवों खंगारन।
कहाँ गइले नंदन वन।
चन्दन बन काटिके।
किसके सताईस दअ
ु रिया गढ़े ।
किसके सताईस दअ
ु रिया गढ़के।
हुक काटो।
फोड़ा काटो।
फुटकी काटो।
काशा काटो।
बांसा काटो।
चंगा काटो।
चंगा करो काट कूट के।
पिता ईश्वर महादे व की शक्ति।
गुरु की भक्ति से झारों।
बलाई जाय नहीं तो महादे व की दह
ु ाई फुरे ।
विधि: चोट लगने पर जब जयादा दर्द हो रहा हो तब मंत्र जपते
हुए चोट पर फूंक मारो।  ऐसा ११ बार करो।  दर्द निवारण हो
जायेगा तत्काल ही।

नाभि का खिसकना

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो नाड़ी नाड़ी।

नौ से नाड़ी।

बहतर कोठा।

चलै अगाडी।

डिगै न कोठा।

चले नाड़ी रक्षा करे यति हनुमंत की आन।

शब्द साँचा।

पिंड कांचा।

फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा।


विधि: एक पीला बांस लेकर नाभि के ऊपर रख दो फिर इस मंत्र का जाप करते हुए जोर जोर से फूंक मारो

इससे डिगी हुई नाभि वापिस अपनी सही स्थान पर आजायेगी।

अंडकोष वद्धि

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो आदे श गुरु का ।

जैसे कै लेहु रामचन्दर कबूत।

औसई करहु राध बिन कबूत।

पवनपत
ू धाऊ।

हर हर रावण।

कूट मिरावन।

श्रवई अण्ड।

अण्ड विहं ड।

खेतही श्रवई।

बाजं गर्भहि श्रवई।

स्त्री खिलहि श्रवई शाप।


हर हर जंबीर।

हर जंबीर हर हर हर।

विधि: शुकरवार को रात को 51 माला जप कर सरसों का दिया


जला कर मंत्र सिद्ध कर लो। 

अब जब भी जरूरत हो मंत्र जपते हुए अपने अंडकोष को


मसलते रहे हलके हलके, वे अपने निश्चित आकार में आजायेंगे।
बिमारी दरू हो जाएगी।

- स्मरण शक्ति

|| मंत्र ||

ॐ नमो दे वी कामाख्या।

त्रिशूल खडग हस्त पाधा।

पाती गुरुङ।

सर्व लखी तू प्रीतये।

समांगन।
तत्व चिंतामणि।

नरसिंह  चल - चल।

छीन कोटि कात्यायनी तालब प्रसाद।

के ॐ हों ह्रीं क्रू त्रिभव


ु न चालिया।

चलैया स्वाहा।

विधि: सोमवार को २१ माला जप कर सूर्योदय से पहले 21


माला जप कर मंत्र सिद्ध कर लो। 

अब प्रतिदिन केवल रविवार छोड़ कर ११ तुलसी के पते तोड़


लो। उनके पते को अभिमंत्रित करके चबा चबा कर खाओ और
एक गिलास पानी का पि लो। कुछ ही दिनों में स्मरण शक्ति
का चमत्कारिक रूप से विकास हो जायेगा। 
IN HINDI VERSION – Anaaj Le Jaana

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो हं कालो चौसठ योगिनी।

हं कालो बावना वीर।

कार्तिक अर्जुन वीर बुलाऊँ।

आगे चौसठ वीर।

जल बंधी। बल बंधी।

आकाश बंधी।

पवन बंधी।

तीन दे श की विद्या बंधी।

उत्तर तो अर्जुन राजा।

दक्षीण तो कार्तिक विराजै।

आसमान लौ वीर गाजै।

नीचे चौसठ योगिनी विराजै।


पी तो पास। चली आवै छपन भैरो राशि उड़ावे ।

एक बांध आसमान में लगाया।

दज
ू ै बाँधी राशि घर में लाया।

विधि: दीपावली की रात को जंगल से चह


ू े की विस्टा ले आओ।
फिर ५१ माला जप कर मंत्र सिद्ध कर लो और विष्टा को
अभिमन्त्र कर के, उसके बाद इस विष्टा को जिस भी अनाज पर
दाल  दोगे वो आपके इच्छित जगहे पर खद
ु आ जाएगा।

- लक्ष्मण रे खा

॥ मंत्र ॥

झाडी झाडी कापडपिंडी।

वीर मष्ु टे बाँधीबाल।

बल
ु े एलाम मशान भम
ू होते भैरव।

कटार हाते।

लोहार बाड़ी।

बाम हाते चामंदड़ी।


आज्ञा दिल राजा चड़
ुं हाते।

लोहार किला।

मुद्गर धिनि।

विगलि घुंडिकार आज्ञे।

राजा चँड्
ु गर आज्ञे।

विग्लि घुंडी।

विधि: शनिवार को अनुष्ठान आरम्भ करना है , प्रतिदिन सूर्योदय


से पहले ५१ माला जपनी है २१ दिनों तक।  मंत्र सिद्ध हो
जायेगा। 

फिर जब भी जरूरत हो, ७ बार मंत्र जप कर एक घेरा खेंच दो


और उसके अंदर रहो, जब तक उसके अंदर हो कैसे भी
शक्तिशाली तांत्रिक आक्रमण हो सब निष्फल हो जायेगा और
आप सकुशल बच जाओगे।

- किया कराया परिचय


॥ मंत्र ॥

ॐ ओंकार सतगुरु प्रसादी।


दह
ु ाई खुदा दी।
दह
ु ाई रसल
ू दी।
दह
ु ाई पीर पैगम्बर की।
दह
ु ाई हजरत अली की।
दह
ु ाई अंबर की।
दह
ु ाई मह
ु म्मद हनी फ़क़ीर की।
दह
ु ाई इक लाख अस्सी हजार पैगंबर दी।
दह
ु ाई बावन वीर की।
दह
ु ाई चौसठ योगिनी।
चौरासी सिद्ध नव नाथ की।
साहापरी।  बब
ु परी। तखतपरी।
हूर परी।  नूर परी।  लाल परी।
सफ़ेद परी। साहा की दहु ाई।
कौन कौन पकड़ चले।
आगे कलुवा वीर चले।
पीछे मुहम्मद वीर चले।
हनुमंत वीर चले।
लंकू ढीपा वीर चले।
अंगद चले।  बावन वीर, चौसठ योगिनी।
सिद्ध नो नाथ हजरत शाह भी।
मके बाण नदी नाव का परू ा।
दे व भूत जीन खवीसा।
दे वनि भत
ू नी जिन्नी खवीसनी।
चड़
ु ल
ै के लागे तीर।
अठाईस ठाम नौ सत
ु ा जाऊं।
मढ़ी मसानी रक्खेविरख वेग से।
पकडीली आऊ।
सिद्ध भैरों श्री बल जति।
भैरों जति।
लक्ष्मण जति।
कुमार जती।
डोडा जती ।
शुक्र जती।
हणवंत जती।
अंगद जती।
भैरो भवाल छे त्रपाल।
कालका माई का पत
ू ।
चढ़ी भठी का जैतवार रै सा चले।
जैसे नदी नाव का तीर।
जिन्न, भूत को, दे व को, पलीत को।
खवीस को, डाकिनी को, सिहारी को।
चार खंट
ू सैह्ण करिली आऊँ।
बंद करे ।
सिर चढ़ खेले।
मुख चढ़ बोले।
गरु
ु की शक्ति।
हमारी शक्ति।
फुरोमंत्र ईश्वर महादे व तेरी वाचा फुरै ।

विधि: अमावस की काली रात को ५१ माला जप कर सरसों के


तेल का दीपक जल कर। अब जब भी जरूरत हो मंत्र ३ बार पढ़
कर रोगी पर फंू क मारो उसमे जो भी काली शक्ति विद्यमान है
वो खुद बोल कर अपना परिचय दे गी।

घर की सुरक्षा

॥ मंत्र ॥

हाट चलते बात बाँध।ूँ

बात चलते घाट बाँध।ूँ


स्वर्ग में राजा इंद्र बाँध।ूँ

पाताल में वासुकि नाग बाँध।ूँ

शिकाली बाणंन तोड़के मछली मारूं।

टें गरामाछी मारूं। गाछ फूटे ।

डाल कारुं फूल उठें तार।

खाई बन किये उजार।

आगे आये बाँध।ूँ

पाछू आये बाँध।ूँ

बाएं दायें बाँध।ूँ

यह बन्धन को बांधत इश्वर महादे व।

बाँधूँ दे व।

हम घर में सहदे व।

हम सोया रहे उँ अकेल।

लोहे के दो कडा।
मांस कर पत्थर होवे।

काटे कूट।

बड़े पिता कि धर्म दह


ु ाई।

विधि: मंगलवार को घी क दिपक जलाकर इस मन्त्र क ५१


माला जप करें सर्योदय से पहले। मंत्र सिद्ध होजायेगा। फिर
आवश्यकता पड़ने पर दाहिने हाथ में मिटटी लेकर मन्त्र से ७
बार अभिमंत्रित कर के घर के चारों ओर बिखरा दॅ । फिर इस
तरह घर हर खतरा से सुरक्षा होती है ।

- बरु े मित्र विद्वेषण शाबर मन्त्र


॥ मंत्र ॥
ॐ नमो आदे श गरु
ु सत्य नाम को।
बारहा सरसों।
तेरहा राई।
बाट कि मिट्ठी।
मसान कि छाई।
पटक मारुकर जलवार।
अमुक १ फूटे दे खन अमुक २ द्वार।
मेरी भक्ति।
गुरु कि शक्ति।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।
विधि : नीचे दि गई सामग्री इकठी करो :

पिली सरसों, थोड़ी राई , थोडी मेथी, ओर आम तथा ढाक कि लकडी


सुखी हुई।  और शमशान से थोड़ी सि राख भि ले आओ। अब हवन की
तयारी करो. लकड़ियों कि वेदी बनाओ ओर बाकि कि सामग्री को मिल
लो अच्छी तरह से। अब हवन आरम्भ करो ओर २१६ आहुतियां
दे नी है . मन्त्र जपते हुए आहुति दे ते रहो।  आहुति परू ी होते होते
बुरे मित्र या तो खुद आपके पति य बच्चों को छोड़ दें गे या फ़िर
आपके बच्चे हि उन्हे छोड़ दें गे।

सभी मन्त्रों कि सिद्धि में सहायक


॥ मंत्र ॥
ॐ काली घाटे काली माँ।
पतित पावनी काली माँ।
जवा फूले।
स्थुरी जले।
सेई जवा फ़ुल मैं सिआ बडाये।
दे वीर अनुर्बले।
एही होत क्रिवजा होइवे।
ताहि काली धर्मेर।
वले काहार आगये राठे ।
काली का चंडीर आसे।

विधि : किसी भी अनुष्ठान से पहले इस मन्त्र का १०८ बार जप कर लें। 


अनष्ु ठान में सफलता निश्चित हो जाती है . इस क path करके धरती
पर फूंक मारे फ़िर अनष्ु ठान करे अवस्य सफलता मिलेगी ओर इच्छित
परिणाम मिलेगा।

- मसानी उच्चाटन प्रयोग, लक्षण और निदान


॥ मंत्र ॥
कालिन नागिन।
शिर जटा।
ब्रह्मा खोपड़ी हाथ।
मरी मसानी।
न फिरे ।
गुरु हमारे साथ।
दह
ु ाई ईश्वर महादे व की।
गौरा पार्वती की।
दह
ु ाई नैना योगिनी की।
विधि: इस मंत्र को सर्वप्रथम किसी ग्रहण काल में लगातार जप
कर सिद्ध कर लो।  तब इसका उपयोग आसानी से कर सकते
हो।

श्मशान की राख ले आओ और उसे वांछित व्यक्ति को खिला दो


एक कुरु योग वाले दिन या कुरुर मंत्र से अभिमंत्रित करके
खिलाना है ।  तब उसको मसानी रोग हो जाता है ।  इस रोग में
रोगी गुमसुम रहता है तथा दिन प्रतिदिन वह सूखता चला जाता
है । वह भयानक प्रयोग प्राय: स्त्रियों के लिए किया जाता है ।

जब आपको ऐसे रोग का सामना करना पड़े तब गाय के उपले


की राख छान कर रख लें।  फिर इस मंत्र से २१ बार अभिमंत्रित
कर के उस रोगी को खिला दें । तथा पेट पर भी लगा दें ऐसा
तीन बार करने से मसानी रोग का नाश हो जाता है ।

विष स्तम्भन
॥ मंत्र ॥

थाला पड़ी धुल पड़ि।

धां धीं वलिये।

अमुकेर अंगेर विष पाला उड़िए।


थाला पड़ि धूल पड़ि।

धां धीं स्वाहा।

अमुकेर अंगे विष लागे तलगै थारूगा।

कार आज्ञा कंसासुर न्र पितर आज्ञा।

धनपति स्वाहा।

विधि: पहले १०८ बार जप कर के मंत्र को सिद्ध कर लें . अब


एक कांसे कि थाली में स्वछ जल लेकर ९ बार मंत्र जप कर के
फंू क मारे और फिर सर्प के कांटे हुए आदमी कि पीठ पर थाली
लगा दें ।  थाली चिपक जायेगी , और जैसे ही जहर ख़तम होगा
थाली छूट जायेगी।

अखाडा स्तम्भन
॥ मंत्र ॥
ॐ  नमो आदे श गुरु कामरू कामाक्षा दे वी को।
अंग पहनँू भज
ु ंग पहनं।ू
पहनूं लोह शारीर।
आंनते के हाथ तोडू।
चलते के पाँव तोडू।
सहाय हो हनम
ु ान वीर।
उठ अब नरसिंह वीर।
तेरो सोलह सो श्रग
ं ृ ार।
मेरी पीठ लागे न वार।
हो मेरी हार तो हनम
ु ंत वीर लज्जाने।
तूं लेहु पूजा पान सुपारी नारियल सिंदरू ।
अपनी बेह।
सकल मोहि कर दे हु।
मेरी भक्ति।
गरु
ु कि शक्ति।
फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा।

विधि: हनुमान जी कि पूजा दे कर तेल का दीपक जलाएं और


सम्मख
ु लंगोट रखकर इस मंत्र का पाठ करें ।  आवश्यकता के
समय सरसों के तेल को १०८ बार इस मंत्र से अभिमंत्रित कर
मालिश करें और यही लंगोट पहनकर अखाड़े में उतारे तो सभी
का स्तम्भन होकर विजयश्री मिलेगी। 

दृस्टि स्तम्भन
॥ मंत्र ॥
ॐ नमो काल भैरव घंघरा वाला।
हाथ खडग फूलों कि माला।
चौंसठ सो योगिनी संग में चोला।
दे खो खोली नजर का ताला।
राजा प्रजा ध्याव तोहिं।
सबकी दृस्टि बाँधी दे मोहिं।
में पज
ू ो तम
ु को नित ध्याय।
भरी अथाई सुमिरौं तोहि।
तेरा किया सबकुछ होय।
दे खूँ भैरों तेरे मंत्र कि शक्ति।
चलै मंत्र ईश्वरोवाचा।
विधि: रविवार के दिन शमशान से एक चट
ु की राख ले आयें। 
फिर भैरों जी कि पूजा करें ।  अगर ईस्ट दे व भैरों हो तो सोने
पर सह ु ागा।  अब २१ बार मंत्र को जपते हुए राख को फंू क
मारो।  अब कहीं पर भी सभा में जाकर मंत्र को जपते हुए राख
को वातावरण में उड़ा दें । सभा में मौजूद सभी कि दृस्टि बांध
जायेगी और सब बस वोही दे ख पाएंगे जो तुम दिखाना चाहते
हो।
सिरदर्द का इलाज

॥ मंत्र ॥

ॐ नमो आदे श गुरु का।

बाल में ।

कपाल में ।

भेजा में कीड़ा।

कीड़ा करे न पीड़ा।

सोना का स्लाबा।

रूपा का हथोड़ा।

ईश्वर गाड़ै गोर्या तोड़े।

इनको शाप।

श्री महादे व जी तोड़े।

शब्द साँचा।

पिंड कांचा।
फुरे मंत्र ईश्वरोवाचा।

विधि: ५१ माला सूर्योदय से पहले रविवार को जप कर इस मंत्र


को सिद्ध कर लो।

अब जले हुए उपलों की राख लेकर मंत्र जपते हुए रोगी को


मारो। एसा ११ बार करो।

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